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पंजाब में धान की कटाई और पराली जलाने की समस्या
जैसे ही पंजाब में धान की कटाई का मौसम शुरू होता है, खेतों में पराली जलाने के मामले भी बढ़ने लगते हैं। किसान अगली फसल की बुवाई में देरी न हो और पराली को खेतों से हटाने के खर्च को बचाने के लिए धान की पराली को आग के हवाले कर देते हैं।
हालांकि इससे किसानों को कुछ राहत मिलती है, लेकिन आम जनता को इस जहरीले धुएं से काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सरकार ने पराली न जलाने के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं, लेकिन किसान इन निर्देशों की अनदेखी कर रहे हैं।
सरकार के निर्देश
सरकार ने पहले ही सख्त निर्देश दिए हैं कि कोई भी किसान पराली न जलाए और इसे आधुनिक मशीनरी की मदद से खेतों से हटाए। साथ ही, पराली जलाने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई के आदेश भी दिए गए हैं।
इसके बावजूद, किसान प्रशासन के निर्देशों को नजरअंदाज करते हुए पराली जलाने से नहीं चूक रहे हैं। रविवार (28 अक्टूबर) की शाम को मोगा के गांव बोहना और मेहमेवाला में पराली जलाने की तस्वीरें सामने आईं, और कुछ दिन पहले गांव महेश्वरी में भी ऐसा ही मामला देखा गया था।
पराली जलाने का तरीका
किसान अक्सर शाम के समय, खासकर 6 बजे के बाद, सेटेलाइट में तस्वीरें न आने के कारण खेतों में आग लगा रहे हैं ताकि उन पर कार्रवाई न हो सके। जानकारी के अनुसार, अभी लगभग 60 प्रतिशत धान की कटाई बाकी है, लेकिन यदि पराली जलाने का यह सिलसिला जारी रहा, तो आने वाले दिनों में पंजाब का वातावरण जहरीले धुएं से भर जाएगा।
इससे लोगों को सांस लेने में कठिनाई और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मोगा जिले में कुल 15 मामले सामने आए हैं। साल 2023 में 27 अक्टूबर तक 136 मामले दर्ज हुए, जबकि 2024 में 124 और 2025 में 15 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें किसानों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।