आरसीपी सिंह के जाने के बाद अगले नौकरशाह में रूप में आईएएस मनीष वर्मा को जनता दल यूनाईटेड में एंट्री के 48 घंटे के अंदर बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। पिछले महीने राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए राज्यसभा सांसद संजय झा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश पर मनीष वर्मा को जदयू का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है। जदयू महासचिव और विधायक आफाक अहमद खान ने राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के आदेश पर तत्काल प्रभाव से इस नियुक्ति की औपचारिक घोषणा की।
ओडिशा कैडर के आईएएस अधिकारी रह चुके मनीष वर्मा ने 2018 में स्वैच्छिक सेवानिवृति ली थी। शुरू में वह ओडिशा के जिलों में डीएम रहे थे। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के मूल निवासी मनीष वर्मा 2012 में अंतरराज्यीय प्रतिनियुक्ति के तहत अपने राज्य लौट आए थे। इसके बाद से वह लगातार बिहार में ही सेवा दे रहे थे। वह पटना और पूर्णिया के जिलाधिकारी भी रहे हैं। सीएम नीतीश कुमार की जो जाति है, वही मनीष वर्मा की भी जाति है- कुर्मी। अफसरशाह के रूप में भी मनीष वर्मा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आसपास ही रहे थे। नीतीश कुमार खुद कुछ कार्यक्रमों के इनके घर पर भी जा चुके थे। इस कारण जदयू में लोग उन्हें पहले से सीएम के करीबी के रूप में जानते रहे हैं।
जब मनीष वर्मा की प्रतिनियुक्ति दिल्ली हो गई तो वह वीआरएस लेकर बिहार आ गए। तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें दूसरे तरीके से पद और शक्तियां दीं। इसके बाद धीरे-धीरे मनीष वर्मा ने जदयू के संगठनात्मक ढांचे का अध्ययन किया। कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में जदयू के अच्छे प्रदर्शन के पीछे मनीष वर्मा की अहम भूमिका थी। संजय झा को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाते समय मनीष वर्मा के लिए इस तरह की अफवाह उड़ी थी, लेकिन अब सच्चाई पूरी तरह सामने आ चुकी है। मनीष वर्मा ने मंगलवार को पार्टी की सदस्यता ग्रहण की और गुरुवार को उन्हें राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी से नवाजा गया है।