चिपको आंदोलन: पेड़ों को बचाने के अनोखे तरीके से पहाड़ की महिलाओं ने इतिहास रचा और दुनिया भर में अपनी छाप छोड़ी। चिपको आंदोलन आज अपने 50 वें वर्ष में प्रवेश कर गया है। वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पर्यावरण आंदोलनकारियों को कोटिशः नमन किया।
साथ ही महान आंदोलनकारियों को श्रध्दांजिल अर्पित की। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि “चिपको आंदोलन की 50वीं वर्षगांठ पर वृक्षों को अपने जीवन से अधिक महत्त्व देने वाले पर्यावरण आंदोलनकारियों को कोटिशः नमन। आइए, हम सभी वृक्षों के संरक्षण एवं संवर्धन के प्रति जागरूकता फैला कर महान आंदोलनकारियों के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करें”।
1973 में शुरू हुए आंदोलन के तहत 26 मार्च 1974 को तत्कालीन उत्तर प्रदेश के चमोली जिले की ग्राम रैणी निवासी गौरा देवी के नेतृत्व में 27 महिलाएं अलकनंदा घाटी के जंगलों में पहुंचीं और पेड़ों से लिपटकर उन्हें काटने को लेकर विरोध किया।