वेतन में देरी और नई एजेंसी के साथ तालमेल की कमी के कारण किशनगंज सदर अस्पताल के 102 एंबुलेंस चालकों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। एंबुलेंस चालक मुख्य रूप से वेतन न मिलने, नई एजेंसी जिगिजा (जैन प्लस) के साथ तालमेल में दिक्कतें और अन्य सुविधाओं की कमी के चलते अब मांगों को लेकर विरोध कर रहे हैं।
एंबुलेंस चालक संघ के अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार यादव ने बताया कि पांच महीने से वेतन न मिलने की वजह से उनकी आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है। वेतन न मिलने से चालकों को अपने परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा कि वे अपने कर्तव्य का पालन पूरी ईमानदारी से कर रहे हैं, लेकिन बिहार सरकार और एंबुलेंस सेवा संचालकों के बीच तालमेल न होने से वेतन का भुगतान नहीं हो पा रहा है। चालकों का वेतन बिहार सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम मजदूरी के अनुसार भी नहीं हो रहा है, जिससे उनकी स्थिति और गंभीर हो गई है।
वेतन और भत्तों की अदायगी: चालकों की पहली मांग है कि बकाया भविष्य निधि और कर्मचारी राज्य बीमा का पूरा अंशदान जमा किया जाए और इसके बाद ही नई एजेंसी को कार्यभार सौंपा जाए।
2. मासिक वेतन वृद्धि: चालकों ने न्यूनतम वेतन 21,000 रुपये मासिक करने की मांग की है, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति में सुधार हो सके। वर्तमान वेतन से उनके परिवार का खर्चा चलाना कठिन हो रहा है।
3. दुर्घटना बीमा और मुआवजा: एंबुलेंस चालकों ने मांग की है कि दुर्घटना बीमा कराया जाए और कार्यकाल में आकस्मिक मृत्यु पर 10 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए।
4. एकसमान भर्ती प्रक्रिया: चालकों का कहना है कि अगर राज्य स्वास्थ्य समिति नई एजेंसी को कार्यभार सौंपती है तो सभी कर्मियों की नियुक्ति और कार्यभार एक साथ सौंपा जाए ताकि कोई विसंगति न रहे।
स्थानीय अधिकारियों से शिकायतें
एंबुलेंस चालकों ने अपनी समस्याओं के बारे में जिला पदाधिकारी सहित अन्य अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे हैं। लेकिन उन्हें अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं। चालकों का कहना है कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होता है, तो वे भूख हड़ताल पर भी जा सकते हैं।
परिसर में स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रभाव
इस हड़ताल का प्रभाव अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है, जिससे मरीजों को इमरजेंसी सेवाओं के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। हड़ताल की वजह से अस्पताल में एंबुलेंस सेवाएं प्रभावित हो रही हैं, जिससे आपात स्थिति में मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में दिक्कत हो रही है।