उत्तराखंड शिक्षकों के तबादलों के लिए कार्मिक विभाग ने लौटाया नियमावली का प्रस्ताव, किए जा सकते हैं बदलाव

उत्तराखंड:  शिक्षकों के तबादलों के लिए उत्तराखंड सरकार हरियाणा की तर्ज पर तबादला नियमावली बना रही है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक ड्राफ्ट तैयार कर इसे कार्मिक विभाग को मंजूरी के लिए भेजा गया था। जिसे कुछ संशोधन के सुझाव के निर्देश के साथ लौटाया गया है। प्रदेश में शिक्षकों के तबादलों के लिए सरकार तबादला एक्ट की जगह नियमावली बनाने जा रही है।

सरकार शिक्षकों के तबादलों के लिए हरियाणा की तर्ज पर तबादला नियमावली बना रही है। इसके लिए विभाग की ओर से उत्तराखंड शिक्षक स्थानांतरण नियमावली 2022 का ड्राफ्ट तैयार किया गया है। इसमें शिक्षकों के तबादलों के लिए स्कूलों को पर्वतीय और मैदानी दो क्षेत्रों एवं कुछ उप क्षेत्रों में बांटा गया है। मैदानी क्षेत्र में हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर के समस्त ब्लॉक, देहरादून जिले के डोईवाला, रायपुर, सहसपुर और विकासनगर, नैनीताल के हल्द्वानी और रामनगर, पौड़ी जिले के दुगड्डा के कोटद्वार नगर निगम क्षेत्र व यमकेश्वर के नगर पंचायत स्वर्गाश्रम को मैदानी क्षेत्र में शामिल किया गया है। इसके अलावा टिहरी के मुनि की रेती नगर पालिका क्षेत्र और चंपावत का टनकपुर व नगर पालिका बनबसा क्षेत्र मैदानी क्षेत्र में है।

ड्राफ्ट में शिक्षकों के लिए अलग-अलग अंक तय

मैदानी क्षेत्र में तीन उप क्षेत्र शामिल हैं। जबकि पर्वतीय क्षेत्रों में दो किलोमीटर से अधिक की पैदल दूरी वाले सहित पांच उपक्षेत्र शामिल हैं। नियमावली के लिए तैयार ड्राफ्ट में शिक्षकों के लिए अलग-अलग अंक तय किए गए हैं।  शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक ड्राफ्ट तैयार कर इसे कार्मिक विभाग को मंजूरी के लिए भेजा गया था। जिसे कुछ संशोधन के सुझाव के निर्देश के साथ लौटाया गया है।  शिक्षा विभाग की नियमावली पर विभाग की बैठक हुई थी। इसमें शिक्षा विभाग को कुछ जरूरी सुझाव के साथ संशोधन के लिए कहा गया है। -शैलेश बगौली, सचिव कार्मिक

तबादला नियमावली के ड्राफ्ट में विभाग ने स्कूलों की श्रेणी के लिए पहले पर्वतीय और मैदानी दो जोन बनाए थे। कार्मिक विभाग की ओर से सुझाया गया है कि इसमें एक उच्च जोन भी बनाया जाए। इसके अलावा पति, पत्नी के आधार पर तबादलों में लाभ के लिए केवल राज्य कर्मचारी हीं नहीं बल्कि केंद्रीय कर्मचारियों, अधिकारियों को भी शामिल किया जाए। वहीं दिव्यांगता के प्रतिशत को भी कम किया जाए ताकि अधिक दिव्यांगजन इससे लाभान्वित हों। शिक्षा महानिदेशक से वार्ता के बाद इसे फिर से शासन को भेजा जाएगा। -सीमा जौनसारी, शिक्षा निदेशक

 

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