देहरादून ; जोगीवाला पुलिस चौकी में महिला की बेरहमी से पिटाई करने के मामले में पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को गंभीरता से जांच कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने एसएसपी को एक सप्ताह के भीतर मामले में रिपोर्ट देने के लिए कहा है। जिसके बाद एसएसपी जन्मेजय खंडूड़ी ने क्षेत्राधिकारी (सीओ) नेहरू कॉलोनी अनिल जोशी को जांच सौंप दी है। एसएसपी ने बताया कि मामले में किसी और की भी संलिप्तता पाई गई तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। वहीं कोरोनेशन अस्पताल में भर्ती पीड़ित मंजू उर्फ श्रमी की हालत गंभीर बनी हुई है।
मोहकमपुर निवासी देवेंद्र ध्यानी ने 15 मई को जोगीवाला पुलिस चौकी में चोरी की शिकायत की थी। देवेंद्र ध्यानी सेवानिवृत्त विज्ञानी और मंत्रा अपार्टमेंट में एक फ्लैट में रहते हैं। उन्होंने शिकायत में बताया कि सात मई को किसी काम से परिवार समेत दिल्ली चले गए थे। इसके बाद 14 मई को पड़ोस के फ्लैट में रहने वाली मीना रावत ने उन्हें फोन पर बताया कि फ्लैट के दरवाजे और अंदर रखी आलमारियां खुली पड़ी हैं। 15 मई को देवेंद्र दून वापस पहुंचे तो पाया कि फ्लैट से सोने व चांदी के जेवरात और नकदी गायब है। इसकी शिकायत उन्होंने पुलिस से की। इस पर पुलिस देवेंद्र ध्यानी के फ्लैट में झाड़ू-पोछा करने वाली नेहरू कॉलोनी क्षेत्र निवासी मंजू उर्फ श्रमी से पूछताछ करने के लिए रविवार को उनके घर पहुंची।
पीड़ित महिला ने बताया कि तीन महिला और एक पुरुष कांस्टेबल उनके घर पहुंचे थे। आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने पहले तो उन्हें घर में बुरी तरह पीटा और सारा सामान बिखेर दिया। इसके बाद उन्हें चौकी ले जाया गया। वहां पूछताछ के दौरान पुलिस ने उनके ऊपर बर्फ डाली और करंट लगाया। उन्हें बेल्ट और जूतों से बुरी तरह पीटने के साथ ही गालियां दीं। इसके बाद गंभीर हालत में पुलिसकर्मी मंजू को उनके घर छोड़ गए। परिचित उन्हें कोरोनेशन अस्पताल ले गए और भर्ती कराया। इसकी जानकारी एसएसपी जन्मेजय खंडूड़ी को मिली तो उन्होंने गोपनीय जांच करवाई। प्राथमिक जांच में महिला की पिटाई की बात सामने आई, जिसके बाद जोगीवाला चौकी इंचार्ज को निलंबित कर दिया गया। राज्य महिला आयोग ने भी पुलिस की बर्बरता को गंभीरता से लिया है।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने समाचार पत्रों का संज्ञान लेकर इस मामले में पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआइजी) अपराध एवं कानून व्यवस्था पी. रेणुका देवी से फोन पर वार्ता की। उन्होंने डीआइजी से कहा कि इस तरह की घटनाएं सामने आने पर लोग पुलिस पर कैसे भरोसा करेंगे। पुलिस का काम केवल शक के आधार पर आरोपित को कोर्ट तक ले जाना है, सजा कोर्ट तय करेगा। उन्होंने डीआइजी से मामले की निष्पक्ष जांच कराने के लिए कहा है।