सीनियर सिटीजन के लिए बनाए गए योजना को क्या अब वापस लिया जाएगा?

राज्य परिवहन निगम की बसों में मुफ्त यात्रा करने वाले वरिष्ठजनों को पूरा किराया देकर यात्रा करनी पड़ सकती है। दरअसल, सरकार की मंशा है कि इस जनकल्याणकारी योजना का लाभ आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को मिले और जो लोग सक्षम हैं, वह किराया देकर ही यात्रा करें।

छात्राओं को मिल रही मुफ्त यात्रा की सुविधा में सरकार कोई बदलाव नहीं करेगी

परिवहन मंत्री चंदन रामदास ने कहा कि रोडवेज की आर्थिक स्थिति पटरी पर लाने के लिए सख्त कदम उठाना जरूरी हो गया है। मुफ्त यात्रा से संबंधित समस्त जनकल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा की जाएगी और उसके बाद बदलाव पर निर्णय लिया जाएगा।

साल-2016 में कांग्रेस की हरीश रावत सरकार ने रोडवेज बसों में जनकल्याणकारी योजना के अंतर्गत में विभिन्न श्रेणी में मुफ्त यात्रा का प्रविधान किया था।
बस में सांसद, विधायक, दिव्यांगजन, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व मान्यता प्राप्त पत्रकार को पहले ही मुफ्त यात्रा की सुविधा मिली हुई थी, लेकिन कांग्रेस सरकार ने राज्य में सभी छात्राओं व 65 वर्ष से ऊपर के वरिष्ठजनों के लिए भी मुफ्त यात्रा लागू कर दी। साथ ही राज्य आंदोलनकारी और आंदोलनकारी की विधवा को भी इसमें शामिल कर लिया गया था।

इन सभी यात्राओं की एवज में राज्य सरकार रोडवेज को सालाना भुगतान करती है, जो करीब 60 करोड़ रुपये के आसपास रहता है। इसके अलावा पर्वतीय मार्गों पर बस संचालन से होने वाले घाटे की एवज में भी सरकार रोडवेज को भुगतान कर रही है। इससे सरकार पर भी बोझ बढ़ रहा और रोडवेज का घाटा भी कम होने का नाम नहीं ले रहा।

मुफ्त यात्रा की योजना के तहत रोडवेज में कई मर्तबा ऐसे भी हो चुका जिनमें पूरी यात्रा के दौरान बस डीजल का खर्च तक नहीं निकाल सकी। स्थानीय और पर्वतीय मार्गों पर वरिष्ठजनों और छात्राओं की संख्या अधिक रहती है। यही कारण है कि परिवहन मंत्री चंदन रामदास ने योजना में बदलाव का निर्णय लिया है।

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